देवेंद्र शर्मा...
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद् की बैठक में पेट्रोल पर 4 रूपए एवं डीजल पर 5 रूपए प्रति लीटर वैट में कटौती को मंजूरी देकर प्रदेश की जनता को बड़ी राहत दी गई है। यह निर्णय मंगलवार रात्रि 12 बजे से लागू होगा। केन्द्र सरकार द्वारा बीते दिनों पेट्रोल एवं डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में की गई कमी के चलते राज्य के राजस्व में संभावित 1800 करोड़ रूपए सालाना की कमी के बावजूद मंत्रिपरिषद् ने जनहित को सर्वोपरि रखते हुए यह निर्णय किया है।
उल्लखेनीय है कि राज्य सरकार ने पहले भी इस वर्ष के प्रारंभ में पेट्रोल-डीजल पर वैट में 2 प्रतिशत की कमी कर प्रदेश की जनता को 1 हजार करोड़ रूपए की राहत दी थी। इस प्रकार राज्य सरकार को पहले से ही 2800 करोड़ रूपए की राजस्व हानि का सामना करना पड़ रहा है और मंत्रिपरिषद् में लिए गए आज के निर्णय से यह राजस्व हानि बढ़कर 6300 करोड़ रूपए सालाना हो जाएगी।
मंत्रिपरिषद् की बैठक में बताया गया कि पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में लगातार वृद्धि करने से केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा आमजन को दी गई राहत में कमी आ रही है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 से पेट्रोल एवं डीजल पर बेसिक एक्साइज ड्यूटी को लगातार कम किया है और राज्यों के साथ साझा किए जाने वाले डिविजिएबल पूल के हिस्से को घटा दिया है। इससे राज्यों को मिलने वाले शेयर में कमी आई है, जबकि स्पेशल एवं एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को लगातार बढ़ाया गया है। राज्यों को इस बढ़ोतरी का कोई हिस्सा नहीं मिलता। केंद्र का यह कदम वित्तीय संघवाद की भावना के विपरीत है।
बैठक में बताया गया कि कोविड लॉकडाउन के दौरान 6 मई 2020 को केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 10 एवं डीजल पर 13 रूपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी। इसके बाद इस वर्ष भी पेट्रोल की करीब 27 और डीजल की कीमत करीब 25 रूपए प्रति लीटर बढ़ी है। अब पेट्रोल पर केवल 5 रूपए और डीजल पर 10 रूपए प्रति लीटर कम कर जनता को राहत देने की बात कही जा रही है। केंद्र द्वारा पेट्रोल पर 5 रूपए तथा डीजल पर 10 रूपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी में की गई यह कमी नाकाफी है और जनता को इससे स्थाई राहत नहीं मिल सकेगी। उल्लेखनीय है कि केन्द्र द्वारा कोरोना काल के दौरान बढ़ाई गई एक्साइज ड्यूटी में नाकाफी कमी की गई है, जबकि राज्य सरकार की ओर से जो वैट बढ़ाया गया था, वह पुनः लगभग कोरोना से पहले की स्थिति में आ गया है।
यह भी बताया गया कि राज्य के कुल कर राजस्व का 22 प्रतिशत से अधिक हिस्सा पेट्रोल एवं डीजल पर वैट से आता है। कोविड वैश्विक महामारी के कारण चालू वित्तीय वर्ष में राज्य के राजस्व में अक्टूबर माह तक 20 हजार करोड़ रूपए की भारी कमी आई है। केेंद्र द्वारा राज्य को 5,963 करोड़ रूपए के जीएसटी का पुनर्भरण उपलब्ध नहीं कराना भी इसका एक बड़ा कारण है।
मंत्रिपरिषद् ने कहा कि महंगे पेट्रोल एवं डीजल से आमजन को वास्तविक राहत देने के लिए जरूरी है कि केंद्र सरकार केंद्रीय पूल में आने वाली एडिशनल एक्साइज ड्यूटी एवं बेसिक एक्साइज ड्यूटी को और कम करे। यदि केंद्र सरकार द्वारा प्रति लीटर पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी में 10 रूपए तथा डीजल पर 15 रूपए प्रति लीटर की कमी की जाती है तो प्रदेश के वैट में भी पेट्रोल पर 3 रूपए 40 पैसे प्रति लीटर तथा डीजल पर 3 रूपए 90 पैसे स्वतः कम हो जाएंगे। समस्त आर्थिक चुनौतियों के बावजूद राज्य सरकार प्रदेश की जनता को राहत देने के उद्देश्य से राज्य के राजस्व में होने वाली करीब 3500 करोड़ रूपए की अतिरिक्त हानि को भी वहन करने के लिए तैयार है।
मंत्रिपरिषद ने प्रशासन गांवों के संग तथा प्रशासन शहरों के संग अभियान की प्रगति पर भी चर्चा की। बैठक में अभियान पर संतोष व्यक्त करते हुए यह अपेक्षा की गई कि इन महत्वाकांक्षी अभियानाें का लाभ आमजन तक पहुंचे। इन अभियानों से एक ही स्थान पर लोगों की समस्याओं का त्वरित समाधान हो रहा है। प्रदेशभर में लाखों पट्टे वितरित किए गए हैं। साथ ही ऎसे काम भी इन अभियानों में हो रहे हैं जो बरसों से लंबित थे। मंत्रिपरिषद ने कहा कि इन अभियानों को और गति देकर अंतिम छोर तक बैठे व्यक्ति को राहत पहुंचाई जाए।
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