Business

header ads

प्रधानमंत्री ने परीक्षा पे चर्चा 2022 के दौरान छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की


नई दिल्ली, सत्ताजगत। परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) के 5वें संस्करण में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ बातचीत की। बातचीत से पहले प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर छात्रों के प्रदर्शनों का निरीक्षण किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, श्रीमती अन्नपूर्णा देवी, डॉ. सुभाष सरकार, डॉ. राजकुमार रंजन सिंह और श्री राजीव चंद्रशेखर सहित राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों, शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों की वर्चुअल तौर पर उपस्थिति थी। पूरी बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने एक संवादात्मक, जोशीला और संवादी स्वर बनाए रखा। सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने पिछले साल वर्चुअल बातचीत के बाद अपने युवा मित्रों को संबोधित करने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पीपीसी उनका पसंदीदा कार्यक्रम है। उन्होंने कल से शुरू होने वाले विक्रम संवत नव वर्ष के बारे में बताया और छात्रों को आने वाले कई त्योहारों के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री ने पीपीसी के 5वें संस्करण में एक नई प्रथा की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा जो प्रश्न शामिल नहीं किए जा सके, नमो ऐप पर वीडियो, ऑडियो या टेक्स्ट मैसेज के जरिए उनके उत्तर दिए जाएंगे। पहला सवाल दिल्ली की खुशी जैन ने किया। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से, वडोदरा की किनी पटेल ने भी परीक्षा को लेकर तनाव और दबाव के बारे में पूछा। प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि वे तनाव में न रहें क्योंकि यह उनके द्वारा दी जाने वाली पहली परीक्षा नहीं है। उन्होंने कहा, "एक तरह से आप परीक्षा-प्रमाणित हैं।" पिछली परीक्षाओं से उन्हें जो अनुभव मिला है, उससे उन्हें आगामी परीक्षाओं से निपटने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि अध्ययन का कुछ हिस्सा छूट सकता है, लेकिन उन्हें इस पर जोर न देने के लिए कहा। उन्होंने सुझाव दिया कि उन्हें अपनी तैयारी की ताकत पर ध्यान देना चाहिए और अपने दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या में तनावमुक्त और स्वाभाविक रहना चाहिए। दूसरों की नकल के रूप में कुछ भी करने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है, लेकिन अपनी दिनचर्या के साथ रहें और उत्सव की तरह निश्चिंतता से काम करें।   अगला प्रश्न कर्नाटक के मैसूर के तरुण ने किया। उन्होंने पूछा कि यूट्यूब, आदि जैसे ध्यान भटकाने वाले कई ऑनलाइन माध्यम के बावजूद अध्ययन को एक ऑनलाइन मोड में कैसे आगे बढ़ाया जाए। दिल्ली के शाहिद अली, तिरुवनंतपुरम, केरल की कीर्तना और कृष्णागिरी, तमिलनाडु के एक शिक्षक चंद्रचूड़ेश्वरन के मन में भी यही सवाल था। प्रधानमंत्री ने कहा कि समस्या ऑनलाइन या ऑफलाइन अध्ययन के तरीकों से नहीं है। ऑफ़लाइन अध्ययन में भी, मन बहुत भटक सकता है। उन्होंने कहा, "यह माध्यम की नहीं बल्कि मन की समस्या है।" उन्होंने कहा कि चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, जब मन पढ़ाई में लगा हो तो ध्यान भटकाने वाली चीजों से छात्रों को परेशानी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी विकसित होगी और छात्रों को शिक्षा में नई तकनीकों को अपनाना चाहिए। सीखने के नए तरीकों को एक अवसर के रूप में लिया जाना चाहिए, चुनौती के रूप में नहीं। ऑनलाइन आपके ऑफलाइन सीखने को बढ़ावा दे सकता है। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन संग्रह के लिए है और ऑफलाइन का संबंध क्षमता विकसित करने तथा काम करने से है। उन्होंने डोसा बनाने का उदाहरण दिया। कोई भी ऑनलाइन डोसा बनाना सीख सकता है लेकिन तैयारी और खपत ऑफलाइन होगी। उन्होंने कहा कि वर्चुअल दुनिया में रहने की तुलना में अपने बारे में सोचने और खुद के साथ रहने में बहुत खुशी होती है। पानीपत, हरियाणा की एक शिक्षिका सुमन रानी ने पूछा कि नई शिक्षा नीति के प्रावधान छात्रों के जीवन को विशेष रूप से और समाज को कैसे सशक्त बनाएंगे, और यह कैसे नये भारत का मार्ग प्रशस्त करेगा। पूर्वी खासी हिल्स, मेघालय की शीला ने भी इसी तर्ज पर प्रश्न पूछा। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक 'राष्ट्रीय' शिक्षा नीति है न कि 'नई' शिक्षा नीति। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद नीति का मसौदा तैयार किया गया था। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। "राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए परामर्श विस्तृत रहा है। इस पर पूरे भारत के लोगों से सलाह ली गई।” उन्होंने आगे कहा, यह नीति सरकार ने नहीं बल्कि नागरिकों, छात्रों और इसके शिक्षकों ने देश के विकास के लिए बनाई है। उन्होंने कहा कि पहले, शारीरिक शिक्षा और प्रशिक्षण पाठ्येतर गतिविधियां थीं। लेकिन अब वे शिक्षा का हिस्सा बन गई हैं और नई प्रतिष्ठा प्राप्त कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 20वीं सदी की शिक्षा प्रणाली और अवधारणा 21वीं सदी में हमारे विकास पथ को निर्धारित नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि अगर हम बदलती प्रणालियों के साथ विकसित नहीं हुए तो हम पीछे छूट जाएंगे और पीछे की ओर चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति किसी के जुनून का अनुसरण करने का अवसर देती है। उन्होंने ज्ञान के साथ कौशल के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के हिस्से के रूप में कौशल को शामिल करने का यही कारण है। उन्होंने विषयों के चुनाव में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) द्वारा प्रदान किए गए लचीलेपन के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि एनईपी के उचित क्रियान्वयन से नए अवसर तैयार होंगे। उन्होंने पूरे देश के स्कूलों से छात्रों द्वारा आविष्कृत नई तकनीकों को लागू करने के नए तरीके खोजने का आग्रह किया। गाजियाबाद, यूपी की रोशनी ने पूछा कि परिणामों के बारे में अपने परिवार की अपेक्षाओं से कैसे निपटें और क्या पढ़ाई को उतनी ही गंभीरता से लेना चाहिए जितना कि माता-पिता महसूस करते हैं या इसका एक उत्सव की तरह आनंद उठाना चाहिए। भटिंडा, पंजाब की किरण प्रीत कौर ने इसी तरह का सवाल पूछा। प्रधानमंत्री ने अभिभावकों और शिक्षकों से कहा कि वे अपने सपनों को छात्रों पर थोपे नहीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिक्षकों और अभिभावकों के अधूरे सपनों को छात्रों पर नहीं थोपा जा सकता। प्रत्येक बच्चे के लिए अपने सपनों को पूरा करना महत्वपूर्ण है।” उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों से यह स्वीकार करने का आग्रह किया कि प्रत्येक छात्र में कोई न कोई विशेष क्षमता होती है और उसका पता लगाना चाहिए। उन्होंने छात्र से कहा कि अपनी ताकत को पहचानें और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें।दिल्ली के वैभव कन्नौजिया ने पूछा कि जब हमारे पास अधिक बैकलॉग है तो कैसे प्रेरित रहें और सफल हों। ओडिशा के माता-पिता सुजीत कुमार प्रधान, जयपुर की कोमल शर्मा और दोहा के एरोन एबेन ने भी इसी विषय पर सवाल पूछा था। प्रधानमंत्री ने कहा, "प्रेरणा के लिए कोई इंजेक्शन या फॉर्मूला नहीं है। इसके बजाय, अपने आप को बेहतर तरीके से खोजें और पता करें कि आपको किससे खुशी मिलती है और वही काम करें।" उन्होंने छात्रों से उन चीजों की पहचान करने के लिए कहा जो उन्हें स्वाभाविक रूप से प्रेरित करती हैं, उन्होंने इस प्रक्रिया में स्वायत्तता पर जोर दिया और छात्रों से कहा कि वे अपने संकटों के लिए सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयास न करें। उन्होंने छात्रों को अपने आस-पास देखने की सलाह दी कि कैसे बच्चे, दिव्यांग और प्रकृति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा, "हमें अपने परिवेश के प्रयासों और शक्तियों का निरीक्षण करना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।" उन्होंने अपनी पुस्तक एग्जाम वॉरियर से यह भी याद किया कि कैसे 'परीक्षा' के लिए एक पत्र लिखकर और अपनी ताकत व तैयारी के साथ परीक्षा को चुनौती देकर प्रेरित महसूस किया जा सकता है। तेलंगाना के खम्मम की अनुषा ने कहा कि वह विषयों को समझती हैं जब शिक्षक उन्हें पढ़ाते हैं लेकिन थोड़ी देर बाद भूल जाती हैं कि इससे कैसे निपटना है। गायत्री सक्सेना ने नमो ऐप के जरिए याददाश्त और समझ को लेकर भी सवाल किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर चीजों को पूरे ध्यान से सीखा जाएगा तो कुछ भी नहीं भुलाया जा सकेगा। उन्होंने छात्र से वर्तमान में जीने को कहा। वर्तमान के बारे में यह सचेतनता उन्हें बेहतर ढंग से सीखने और याद रखने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान बेहद महत्वपूर्ण होता है और जो वर्तमान में जीता है और उसे पूरी तरह से समझता है वह जीवन का अधिकतम लाभ उठाता है। उन्होंने उनसे स्मृति की शक्ति को संजोने और उसका विस्तार करते रहने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि एक स्थिर दिमाग चीजों को याद करने के लिए सबसे उपयुक्त है। झारखंड की श्वेता कुमारी ने कहा कि वह रात में पढ़ना पसंद करती हैं लेकिन दिन में पढ़ने के लिए कहा जाता है। राघव जोशी ने नमो ऐप के जरिए पढ़ाई के लिए उचित समय सारिणी के बारे में भी पूछा। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी के प्रयास के परिणाम का मूल्यांकन करना और समय कैसे व्यतीत किया जा रहा है, इसका मूल्यांकन करना अच्छा है। उन्होंने कहा कि आउटपुट और परिणाम का विश्लेषण करने की यह आदत शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा कि अक्सर हम उन विषयों के लिए अधिक समय देते हैं जो हमारे लिए आसान और रुचिकर होते हैं। उन्होंने कहा कि इसके लिए 'मन, दिल और शरीर के साथ होने वाली धोखाधड़ी' पर काबू पाने के लिए सोच-समझकर प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "ऐसी चीजें करें जो आपको पसंद हों और तभी आपको अधिकतम परिणाम मिलेगा।

Post a Comment

0 Comments

ARwebTrack